नर्सरी की हिंदी कविता | Nursery Rhymes Poem Lyrics in Hindi For Kids And Children
Nursery Rhymes Lyrics Poem in Hindi For Kid and Children (नर्सरी पोयम इन हिंदी) : हेलो दोस्तों! आज इस लेख के माध्यम से हम नर्सरी कक्षा में पढ़ने वाले "बच्चों की कविता" आप लोगों से साझा कर रहे हैं. आपका बच्चा नर्सरी में पढ़ता है तो आप ये "Nursery Poem" अपने बच्चों को सिखाने के लिए इस लेख का इस्तेमाल कर सकते हैं.
नहीं सूर्य से कहता कोई
धूप यहां पर मत फैलाओ
कोई नहीं चांद से कहता
उठा चांदनी को ले जाओ
कोई नहीं हवा से कहता
खबरदार क्यों अंदर आई
बादल से कहता कब कोई
क्यों जलधारा यहां बरसाई
फिर क्यों हमसे भैया कहते
यहां ना आओ भागे जाओ
अम्मा कहती है घर भर में
खेल खिलौने मत फैलाओ
पापा कहते बाहर खेलो
खबरदार जो अंदर आए
हम पर ही सब का बस चलता
जो चाहे वो डांट लगाये।
घर से चला टहलने भोला
मिला राह में उसको भालू
लगा मांगने रोटी आलू
आलू बिकने गया हाट में
भालू सोने लगा खाट में
टूटी खाट गिर पड़ा भालू
अब नहीं चाहिए रोटी आलू।
बच्चों ने तब आंखें खोली
अच्छे बच्चे मंजन करते
मंजन करके कुल्ला करते
कुल्ला करके मुंह को धोते
मुंह को धोकर रोज नहाते
रोज नहा कर पढ़ने जाते।
केला खाकर मुंह पिचकाया
मुंह में पिचका कर छड़ी उठाई
छड़ी उठाकर कदम बढ़ाया
कदम के नीचे आया छिलका
लालाजी गिरे धड़ाम
मुंह में से निकली हाय राम।
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नर्सरी की कविता इन हिंदी - Nursery Rhymes Lyrics in Hindi For Kids And Children
धूप यहां पर मत फैलाओ
कोई नहीं चांद से कहता
उठा चांदनी को ले जाओ
कोई नहीं हवा से कहता
खबरदार क्यों अंदर आई
बादल से कहता कब कोई
क्यों जलधारा यहां बरसाई
फिर क्यों हमसे भैया कहते
यहां ना आओ भागे जाओ
अम्मा कहती है घर भर में
खेल खिलौने मत फैलाओ
पापा कहते बाहर खेलो
खबरदार जो अंदर आए
हम पर ही सब का बस चलता
जो चाहे वो डांट लगाये।
नर्सरी कविता हिंदी - Nursery Poem in Hindi For Kids And Children
हुआ सवेरा मुर्गा बोलाघर से चला टहलने भोला
मिला राह में उसको भालू
लगा मांगने रोटी आलू
आलू बिकने गया हाट में
भालू सोने लगा खाट में
टूटी खाट गिर पड़ा भालू
अब नहीं चाहिए रोटी आलू।
"हुआ सवेरा चिड़िया बोली" बच्चों की कविता - Kids Poem in Hindi
हुआ सवेरा चिड़िया बोलीबच्चों ने तब आंखें खोली
अच्छे बच्चे मंजन करते
मंजन करके कुल्ला करते
कुल्ला करके मुंह को धोते
मुंह को धोकर रोज नहाते
रोज नहा कर पढ़ने जाते।
नर्सरी कविता - Children Poem in Hindi
लालाजी ने केला खायाकेला खाकर मुंह पिचकाया
मुंह में पिचका कर छड़ी उठाई
छड़ी उठाकर कदम बढ़ाया
कदम के नीचे आया छिलका
लालाजी गिरे धड़ाम
मुंह में से निकली हाय राम।
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