स्वामी विवेकानंद के 3 महत्वपूर्ण प्रेरक प्रसंग | Swami Vivekananda Stories in Hindi
Swami Vivekananda Stories in Hindi (स्वामी विवेकानंद के जीवन से संबंधित 3 प्रेरक प्रसंग) : हेलो दोस्तो, आज के इस लेख में हम आपके साथ स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ी तीन कहानियां (Swami Vivekananda Story) शेयर करेंगे. मुझे उम्मीद है कि आप को स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़े प्रसंगों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा.
स्वामी विवेकानंद के प्रेरक प्रसंग - Swami Vivekananda Stories in Hindi
1 : स्वामी विवेकानंद के बचपन की ईमानदारी (Childhood Story of Swami Vivekananda in Hindi)
स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी सन - 1863 को कोलकाता में हुआ था. स्वामी जी जब अपनी बाल अवस्था में थे, तब उनके परिवारजन उन्हें में नरेंद्र कहकर बुलाते थे. नरेंद्र बचपन से ही तेज तर्रार और होशियार थे. वे अपने स्कूल के दिनों से ही एक प्रतिभाशाली बालक थे. जब भी वे अपनी कक्षा के बच्चों से किसी विषय पर बात करते थे, तो सभी बच्चे उनकी बातों को ध्यान मग्न हो कर सुनते थे.यह किस्सा उसी दौर का है, जब नरेंद्र एक रोज अपने कक्षा के छात्रों से बात करने में मशगूल थे. लेकिन उनका ध्यान सामने पढ़ा रहे अध्यापक पर भी था. नरेंद्र के साथ-साथ कक्षा के बाकी बच्चे भी बातें करने में व्यस्त थे. जब कक्षा अध्यापक को महसूस हुआ कि बच्चे पढ़ने के बजाए बातें करने में व्यस्त हैं, तब उन्होंने बच्चों को खड़ा करके संबंधित पाठ्यक्रम से सवाल पूछना शुरु कर दिया.
सबसे पहले नरेंद्र से शुरुआत की गई. लेकिन नरेंद्र की स्मरणशक्ति काफी तीव्र थी, और वे बीच-बीच में पढ़ाई पर गौर भी कर रहे थे. इसीलिए नरेंद्र ने कक्षा अध्यापक के सभी सवालों का जवाब सही-सही दे दिया. यह देखकर अध्यापक ने उन्हें बैठने का निर्देश दिया, और अन्य छात्रों से सवाल पूछने लगे. लेकिन बाकी छात्रों का ध्यान बातों में होने की वजह से एक भी छात्र सवाल का सही सही उत्तर नहीं दे सका.
यह देखकर अध्यापक ने सभी बच्चों को हाथ ऊपर करके दंडस्वरूप खड़ा रहने का निर्देश दिया. उन सभी बच्चों में नरेंद्र भी हाथ ऊपर करके खड़े हो गए. यह देखकर कक्षा अध्यापक ने चकित होते हुए कहा - "नरेंद्र तुम बैठ जाओ! तुमने सभी सवालों का जवाब ठीक ठीक दिया है."
कक्षा अध्यापक की इस बात को सुनकर नरेंद्र ने जवाब देते हुए कहा - "क्षमा करें गुरु जी! मेरे वजह से सभी छात्र दंड के पात्र बने हैं, यदि मैं इनसे बात ना करता तो यह पढ़ाई पर ध्यान देते और ये दंड के पात्र नहीं होते. इसीलिए गलती मैंने की है और सजा का हकदार भी मैं ही हूं. आप जो सजा देना चाहते हैं, मुझे मंजूर है."
नरेंद्र की यह बात सुनकर कक्षा अध्यापक का मन करुणा से भर उठा. उन्होंने गदगद होते हुए उसी समय भविष्यवाणी की - "यह लड़का आगे चलकर अखंड भारत के लिए एक मिसाल बनेगा और संपूर्ण भारत का नाम रोशन करेगा". यह बालक कोई और नहीं स्वामी विवेकानंद ही थे, जिन्होंने आगे चलकर कई बड़े कार्य किए और संपूर्ण विश्व में भारत का नाम रोशन किया.
2 : शिकागो भाषण से पहले विवेकानंद जी को सोना पड़ा ट्रेन के डिब्बों में!
उन्होंने आगे लिखते हुए कहा है - "शायद! मेरे साथियों को नॉर्थ अमेरिका की ठंड का अनुमान नहीं था. इसीलिए मेरे पास जो कपड़े थे, वो इतनी ज्यादा ठंड सहन करने के लिए अनुकूल नहीं थे".
स्वामी विवेकानंद जी बताते हैं - "उस समय शिकागो एक महंगा शहर था. मेरे पास जो भी पैसे थे, वह कुछ ही दिनों में खत्म हो गए. मैं पूरी तरह से शारीरिक रूप से टूट चुका था. मेरी वेशभूषा को देखकर वहां के बच्चे मेरे पीछे भागते थे. वहां पर रहते हुए एक समय ऐसा भी आया जब मुझे भीख मांगनी पड़ी. लेकिन मेरी वेशभूषा को देखकर वहां के लोग मुझे चोर समझते थे. शिकागो में मुझे हर दरवाजे पर तिरस्कार के अलावा कुछ नहीं मिला".
स्वामी जी आगे बताते हुए कहते हैं - "उस समय मेरी हालत मरने लायक हो गई थी. एक बार को तो मुझे लगा कि मैं सब कुछ छोड़ कर वापस अपने देश चला जाऊं. लेकिन तब मुझे उन हजारों देशवासियों की याद आ जाती, जो मुझे दिलों जान से चाहते थे और मुझ पर विश्वास भी करते थे.
मुझे उन लाखों भारतीयों की याद आ जाती थी, जो भूख से बिलख रहे थे. एक दौर ऐसा भी आया कि मुझे ठंड से बचने के लिए मालगाड़ी के खाली डिब्बों में सोना पड़ा. वो 5 दिन मेरे लिए जैसे 5 साल बन गए थे. अतः वो दिन आया, जिसने विवेकानंद जी को पूरे अमेरिका में प्रसिद्धि दिलाई. उनका धर्म सम्मेलन में दिया गया भाषण सुनकर अमेरिका के लोगों का दिल गदगद हो गया".
3 : स्वामी विवेकानंद की सहनशीलता की कहानी (Story of Swami Vivekananda in Hindi)
यह उस दौर की बात है, जब स्वामी विवेकानंद पूरे भारत का भ्रमण कर रहे थे, और जगह-जगह जाकर लोगों की सहायता कर रहे थे. उसी कार्यकाल के दौरान एक बार स्वामी विवेकानंद जी एक ट्रेन में सफर कर रहे थे. वहीं उनके पास वाली सीट पर बैठा एक व्यक्ति उन्हें बुरा भला कहने लगा. लेकिन स्वामी जी शांत स्वभाव के थे, इसीलिए उन्होंने शांत रहना ही उचित समझा. लेकिन स्वामी जी की चुप्पी ने उस व्यक्ति का हौसला और बढ़ा दिया.वह व्यक्ति लगातार स्वामी जी को गालियां देता रहा और उनकी वेशभूषा का मजाक बनाता रहा. लेकिन स्वामी जी फिर भी चुप रहे. स्वामी जी कई दिनों से लगातार यात्रा कर रहे थे, इसीलिए वह काफी थके हुए एवं भूखे भी थे. जब गाड़ी एक रेलवे स्टेशन पर रुकी तब उस व्यक्ति ने अपना खाना निकालकर खाने लगा. साथ ही साथ उस व्यक्ति ने स्वामी विवेकानंद जी को ताना मारते हुए कहा - "बाबा! बने फिरते हो, कुछ काम धंधा कर रहे होते तो आज भूखा ना रहना पड़ता".
उस व्यक्ति ने इतना कहा ही था तभी एक व्यक्ति टिफिन में खाना लेकर स्वामी विवेकानंद जी की पास जा पहुंचा और स्वामी जी से कहा - "क्या आप ही स्वामी विवेकानंद जी है?". स्वामी जी ने "हां" में सिर हिला कर जवाब दिया. तब उस व्यक्ति ने उन्हें खाना देते हुए कहा - "आप मेरे सपने में आए और आप भूखे थे, आपने मुझे यहां के बारे में बताया, मैं आभारी हूं कि आप ने मुझे दर्शन दिए".
जब पास में बैठे व्यक्ति को पता चला कि जिस इंसान से वह गालियां दे रहा था, वह कोई और नहीं स्वामी विवेकानंद जी है तो वह उनके चरणों में गिर पड़ा और उनसे क्षमा मांगने लगा. स्वामी जी ने उसे उठाया और क्षमा कर दिया.
ऐसे थे स्वामी विवेकानंद, जिनकी सहनशीलता की आज भी मिसाले दी जाती हैं...!
दोस्तों! आपको स्वामी विवेकानंद जी के जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंग ("Story of Swami Vivekananda in Hindi") कैसी लगी. अपने सुझाव मेरे सवाल नीचे कमेंट के माध्यम से हमारे साथ साझा कर सकते हैं. यदि आपको "Swami Vivekananda Stories" पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के साथ इस लेख को सोशल मीडिया पर शेयर करें. यदि आप हमसे संपर्क करना चाहते हैं तो हमारे Contect Us पेज और Facebook पेज पर हम से संपर्क कर सकते हैं. धन्यवाद
सभी आर्टिकल देखने के लिए-यहाँ क्लिक करें
संबंधित अन्य लेख :
● स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय
● स्वामी विवेकानंद का शिकागो भाषण
● स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार