संत कबीर दास के भजन अर्थ सहित | Kabir das Ke Bhajan in Hindi


Kabir das ke Bhajan in Hindi (संत कबीर दास के भजन अर्थ सहित) : संत कबीरदास भारत के महान कवियों में से एक थे. उन्होंने समाज सुधार के लिए कई रचनाएं की. वे हमेशा समाज के प्रति उदार भावना रखते थे. वर्तमान समय में कबीर दास जी को उनके दोहो की वजह से पहचाना जाता है.

  कबीर दास के दोहे में एक संदेश छिपा होता है, जो दुनिया को समझने में काफी मददगार साबित होता है. दोहो के अलावा कबीरदास जी ने बहुत से भजनों की रचनाएं भी की. इस लेख में हम "कबीर दास के भजन हिंदी में अर्थ सहित" आपके साथ शेयर करेंगे. हम आशा करते हैं आपको 'कबीर दास के भजन' उनके दोहो की तरह पसंद आएंगे.

Kabir das Ke Bhajan in Hindi - संत कबीर दास के भजन अर्थ सहित

Kabir das Ke Bhajan

 1 : भजन (Bhajan)

उमरिया धोखे में खोये दियो रे।
धोखे में खोये दियो रे।
पांच बरस का भोला-भाला
बीस में जवान भयो।
तीस बरस में माया के कारण,
देश विदेश गयो। उमर सब ....
चालिस बरस अन्त अब लागे, बाढ़ै मोह गयो।
धन धाम पुत्र के कारण, निस दिन सोच भयो।।
बरस पचास कमर भई टेढ़ी, सोचत खाट परयो।
लड़का बहुरी बोलन लागे, बूढ़ा मर न गयो।।
बरस साठ-सत्तर के भीतर, केश सफेद भयो।
वात पित कफ घेर लियो है, नैनन निर बहो।
न हरि भक्ति न साधो की संगत,
न शुभ कर्म कियो।
कहै कबीर सुनो भाई साधो,
चोला छुट गयो।।

अर्थ - इस भजन में कबीर दास जी कहते हैं कि - "जब बच्चा मां के पेट से जन्म लेता है, तब वह 5 वर्ष की उम्र तक निंबोध बालक रहता है. इसके बाद वह 20 वर्ष की उम्र तक अपनी जवानी की चरम सीमा पर होता है. जवानी के जोश में वह ईश्वर को याद नहीं करता.

 इसके बाद जब 30 वर्ष की उम्र को धारण करता है, तब उसे पैसे की जरूरत महसूस होती है, और वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए और पैसे कमाने के लिए जगह जगह भटकता रहता है. जब वह 50 की उम्र तक पहुंचता है, तब वह पुत्र, बेटी, बहू और पोते आदि के मोह में फंस जाता है. और इन्हीं में अपना संसार तलाशने लगता है.

 इसके बाद 60 साल की उम्र तक उसे बीमारियां झगड़ना शुरू कर देती हैं. ऐसी स्थिति में जिन्हें हुए जान से ज्यादा प्यार करता था उसकी 'बेटा और बहू' वह भी उन्हें छोड़ना चाहते हैं. यह वही 'बहू और बेटे' हैं जिनमें वह अपना संसार तलाशता था और उनकी एक मुस्कुराहट के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहता था. लेकिन आज हालात बदल गए हैं अब वह बाप बूढ़ा हो चुका है.

तब तक इंसान 70 की उम्र तक पहुंच जाता है और वह वृद्ध अवस्था को प्राप्त हो जाता है. वृद्धावस्था में हर इंसान को बीमारियां, कफ-फांसी जैसी समस्या आम बात हो जाती है. इतना सब कुछ होने के बाद जब इंसान अपने अंतिम दिनों में चारपाई पर लेटने के लिए मजबूर हो जाता है, तब उसे ईश्वर का ध्यान आता है. अब सोचता है कि - 'पूरी उम्र यूं ही व्यर्थ में निकाल दी, ना भगवान को याद किया और ना कभी किसी के लिए अच्छा कार्य किया'. बस इसी दुख के साथ वह दुनिया को छोड़ कर चला जाता है".

इस भजन में कबीर दास जी ने संदेश दिया है कि रुपया पैसा कमाने और काम करने के साथ-साथ ईश्वर को याद करने के अलावा हमें कुछ अच्छे भलाई के काम भी करने चाहिए, जिससे हमें अंतिम समय पर किसी चीज का पछतावा ना हो.

2 : कबीर दास के भजन (Kabir Bhajan)

मन लाग्यो मेरो यार
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में॥

जो सुख पाऊँ राम भजन में
सो सुख नाहिं अमीरी में
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में॥

 भला बुरा सब का सुनलीजै
 कर गुजरान गरीबी में
 मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में॥

 आखिर यह तन छार मिलेगा
 कहाँ फिरत मग़रूरी में
 मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में॥

 प्रेम नगर में रहनी हमारी
 साहिब मिले सबूरी में
 मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में॥

 कहत कबीर सुनो भयी साधो
 साहिब मिले सबूरी में
 मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में॥

अर्थ -
इस भजन में कबीर दास जी कहते हैं कि - "मेरा मन भगवान के चरणों में लग चुका है, और मैंने जिस सुख का एहसास ईश्वर के चरणों में रहकर किया है वैसा अनुभव मुझे अरबों की संपत्ति मिलने पर भी नहीं हो सकता". कबीर दास जी आज आगे लिखते हुए कहते हैं कि - "यदि आप श्रद्धा पूर्वक ईश्वर का ध्यान कर रहे हैं तो आप में इतनी क्षमता होती है, कि आप किसी व्यक्ति की गालियां और गरीबी की मार हंसते हंसते सह सकते हैं".

 कबीर दास जी ने आगे कहा है कि - "यह शरीर मिट्टी का बना हुआ है और एक दिन इसे फिर से मिट्टी में ही मिल जाना है. फिर इस जीवन के चंद दिनों में किस बात का घमंड करना, जबकि हमें अपनी अंत के बारे में सब कुछ पता है". वे आगे लिखते हैं कि - "हमें इस संसार में प्रेम पूर्वक रहना चाहिए. ईश्वर भी उसी को प्राप्त होता है, जो सब्र के साथ इस दुनिया को प्रेम का पाठ पढ़ाता है".

Note : दोस्तों! हम आशा करते हैं, आपको "कबीर दास के भजन (Kabir das Ke Bhajan)" पसंद आए होंगे. यदि आपका कोई सुझाव एवं सवाल है, तो आप नीचे कमेंट के माध्यम से हमारे साथ साझा कर सकते हैं. यदि आपको कबीर दास के भजन पसंद आए हो तो इस लेख को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करें. और हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें. यदि आप हमसे बात करना चाहते हैं तो हमारे Contect Us पेज और Facebook पेज पर हम से संपर्क कर सकते हैं. धन्यवाद

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