जगदीश चंद्र बोस की जीवनी | Jagadish Chandra Bose Biography in Hindi


Jagadish Chandra Bose Biography in Hindi (सर जगदीश चंद्र बोस का जीवन परिचय) : जगदीश चंद्र बोस भारत के प्रथम वैज्ञानिक थे, जिन्होंने पेड़-पौधों की संवेदनशीलता का पता लगाया था. जगदीश चंद्र बोस (Jagdish Chandra Bose) ने पेड़ पौधों की संवेदनशीलता को मापने के लिए 'क्रेस्कोग्राफ' नामक यंत्र बनाया था. यह यंत्र पेड़ पौधों की सूक्ष्म गतिविधियों को मापने में सक्षम था.

 इस यंत्र की मदद से उन्होंने साबित कर दिया कि पेड़-पौधों भी हमारी तरह सजीव होते हैं, उन्हें भी धूप, वर्षा, सर्दी और गर्मी आदि सभी प्रकार के मौसम और उत्तेजना का अनुभव होता है. जगदीश चंद्र बोस की इस खोज को वनस्पति विज्ञान की सबसे बड़ी खोजों में से एक माना जाता है. उनकी इस खोज के लिए 'रॉयल सोसाइटी, लंदन' ने उन्हें सम्मानित किया. आज के इस लेख में हम इस महान वैज्ञानिक 'जगदीश चंद्र बोस' के बारे में विस्तार से जानेंगे.


जगदीश चंद्र बोस की जीवनी - Jagadish Chandra Bose Biography in Hindi

Jagadish Chandra Bose

पूरा नाम      – जगदीश चंद्र बोस
जन्म           – 30 नवम्बर 1858
जन्मस्थान   – फरीदपुर, ढाका जिले
पिता           – भगवान चन्द्र बोस
माता           – बामा सुंदरी बोस
प्रोफेशन       – वनस्पति वैज्ञानिक
मुख्य कार्य   – पेड़ पौधों की संवेदनशीलता की खोज
मृत्यु           – 23 नवंबर 1937
पुरस्कार      – नाइट रॉयल सोसाइटी लंदन के फेलोशिप
नागरिकता   – भारत, ब्रिटिश

जगदीश चंद्र बोस का प्रारंभिक जीवन (Jagadish Chandra Bose Earlier Life)

जगदीश चंद्र बोस का जन्म 30 नवंबर 1858 में बंगाल के मैंमन सिंह नामक गांव में हुआ था, वर्तमान समय में यह स्थान बांग्लादेश में है. उनके पिता का नाम 'भगवान चंद्र बोस' एवं माता का नाम 'बामा सुंदरी बोस' था. महान वैज्ञानिक का बचपन भारतीय संस्कृति के इर्द-गिर्द पनपा.

 बचपन से ही जगदीश चंद्र बोस को पेड़ पौधों से बेहद लगाव था. साथ ही साथ उनको महाभारत, गीता और रामायण पढ़ने का शौक भी था. बोस बचपन से ही महाभारत के एक महान किरदार 'कर्ण' से प्रभावित थे. जिस प्रकार कर्ण ने संपूर्ण जीवन में कभी भी हार नहीं मानी थी, उसी प्रकार जगदीश चंद्र बोस का भी यही मानना था, कि हमें जीवन में सफलता पाने के लिए कभी हार नहीं माननी चाहिए.


वे हमेशा कहते थे :
 "यदि आप जीतने की इच्छा रखते हैं, तो सबसे पहले आप को हार का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा. क्योंकि एक हार ही है, जो हमें अपने लक्ष्य के प्रति संवेदनशील और बेहतर बनाती है. यदि आप जीवन में हार से लड़ना सीख गए तो सफलता आपके कदमों में होगी."

जगदीश चंद्र बोस की शिक्षा ( Jagadish Chandra Bose Education)

जगदीश चंद्र बोस ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बंगाल के स्थानीय स्कूल से प्राप्त की. बाद में वे आगे की पढ़ाई के लिए कोलकाता आ गए. कोलकाता में उन्होंने 'सेंट जेवियर' स्कूल में दाखिला लिया. इस स्कूल में वे इकलौते छात्र थे, जो ग्रामीण क्षेत्र से संबंध रखते थे. इस स्कूल में अंग्रेज बच्चे उनका अक्सर मजाक बनाते   थे. उन्हीं बच्चों में से एक लड़का बॉक्सर था, जो उन्हें बिना किसी बात के अक्सर पीट दिया करता था. एक दिन जब उनसे यह सब सहन नहीं हुआ, तो उन्होंने उस लड़के की पिटाई कर दी. इस घटना के बाद बोस को अंग्रेज बच्चों ने तंग करना बंद कर दिया.

कोलकाता विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वे आगे पढ़ने के लिए इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय चले गए. सन 1884 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद बोस पुनः भारत लौट आए. इसके बाद उन्हें कोलकाता में स्थित प्रेसिडेंसी कॉलेज में भौतिक विज्ञान के अध्यापक के लिए नियुक्त किया गया.

वे एक स्वाभिमानी स्वभाव के व्यक्ति थे. इस बात का पता इस घटना से चलता है कि जब उनको प्रेसिडेंसी कॉलेज में अध्यापक के रूप में नियुक्ति किया गया, तब उन दिनों किसी भी अंग्रेज प्रोफेसर के मुकाबले भारतीय प्रोफेसर को 2 गुना कम वेतन दिया जाता था. जगदीश चंद्र बोस से भारतीयों के प्रति दोगला पक्षपात व्यवहार सहन नहीं हुआ. इसी पक्षपात का विरोध करते हुए जगदीश चंद्र बोस ने 3 वर्षों तक वेतन नहीं लिया. अंत बोस की जीत हुई और उन्हें 3 वर्षों का पूरा वेतन दिया गया.

जगदीश चंद्र बोस का व्यक्तिगत जीवन (Jagadish Chandra Bose Personal Life)

जगदीश चंद्र बोस का ज्यादातर जीवन खुली किताब की तरह है. उन्होंने अपना अधिकतर समय विज्ञान जगत के लिए समर्पित कर दिया. यदि हम उनके निजी जीवन की बात करें तो उनके सबसे करीबी दोस्त 'प्रफुल्ल चंद्र रॉय' थे.

जिस समय बोस कैंब्रिज के विद्यार्थी थे, उस समय वे लंदन में 'प्रफुल्ल चंद्र रॉय' से मिले थे और कुछ ही मुलाकातों के बाद वे अच्छे दोस्त बन गये. जगदीश चंद्र बोस का वैवाहिक जीवन काफी अच्छा था. उन्होंने 'अबला बोस' नामक महिला से विवाह कर लिया जो कि नारी अधिकारवादी और सामाजिक कार्यकर्त्ता थी.

जगदीश चंद्र बोस के आविष्कार एवं खोजें (Jagadish Chandra Bose Inventions)

जगदीश चंद्र बोस ने क्रेस्कोग्राफ नामक यंत्र बनाया. जो पेड़ पौधे की अत्यंत सूक्ष्म से सूक्ष्म गतिविधियों को भी ट्रैक कर सकता था. इस यंत्र के द्वारा बोस पेड़-पौधे और दूसरे जीव-जंतु में अनेक समानताएं प्रदर्शित करने में सफल हुए.

10 मई 1901 की बात है. रॉयल सोसाइटी लंदन का हॉल जाने माने वैज्ञानिको से खचाखच भरा हुआ था. सभी वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस के इस प्रयोग को देखने के लिए इंतजार कर रहे थे. जिसमें यह सिद्ध किया जाना था कि 'पेड़ पौधे में भी हमारी तरह संवेदनशीलता होती है'.

उन्होंने एक पौधा लिया और उसकी जड़ों को एक बोतल भरे ब्रोमाइंड नामक जहर में डुबो दिया. पौधे का संबंध अपने यंत्र से कर दिया जो पर्दे पर एक प्रकाश बिंदु द्वारा पौधे की गति प्रदर्शित करता था. पौधे से पैदा होने वाले स्पंद प्रकाश बिंदु को पर्दे पर पेंडुलम की भांति गति करा रहे थे. अचानक ही प्रकाश बिंदु ने तेजी से गति की और बाद में एकदम रुक गया.

 ऐसा लगा जैसे किसी चूहे को जहर दे दिया गया हो और वह तड़प कर थोड़ी देर में मर गया हो. सचमुच पौधा जहर के प्रभाव के कारण मर गया था. इस प्रदर्शन को देख सारा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. लेकिन कुछ वनस्पति वैज्ञानिक इस प्रदर्शन से खुश नहीं हुए. क्योंकि बोस जैसा वैज्ञानिक उनके क्षेत्र में घुस बैठा था. उन्होंने इस प्रयोग की आलोचना की. लेकिन बॉस पर इस आलोचना का कोई प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि उन्हें पता था कि उनके सभी परीक्षण एकदम सही है.

सर जगदीश चंद्र बोस को वनस्पति विज्ञान के अलावा भौतिकी विज्ञान में भी काफी रुचि थी. उन्होंने रेडियो तरंगों पर काफी काम किया. इस विषय में काम करने की प्रेरणा उन्हें 'हेनराक हर्टन' के ऊपर ओलिवर लोस के शोध पत्र से मिली. जबकि उन्हें कॉलेज में किसी भी प्रकार की कोई भी वित्तीय सहायता नहीं मिली. लेकिन उन्होंने किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता ना होने के बावजूद भी आवश्यक उपकरणों का निर्माण स्वयं ही 3 महीनों में कर लिया.

 बोस एक वनस्पति शास्त्री के रूप में अधिक प्रसिद्ध थे लेकिन वह मूल रूप से भौतिकशास्त्री थे. एक तरह से उन्हें वायरलेस टेलीग्राफी का आविष्कारक कहा जा सकता है. जबकि उन्हें यह श्रेय कभी भी प्राप्त नही हुआ. सन 1895 में मारकोनी के पेटेंट लेने से 1 वर्ष पहले ही उन्होंने वायरलेस टेलीग्राफ का जनता के सामने प्रदर्शन किया था. लेकिन उनके पेटेंट कराने से पहले ही इसका श्रेय मारकोनी ने ले लिया.

 उन्होंने रेडियो तरंगों का पता करने के लिए कोहरर (Coherer) नामक यंत्र बनाया. इस यंत्र के आधार पर उन्होंने पेड़-पौधे के अध्ययन के लिए अपना दूसरा यंत्र क्रेस्कोग्राफ बनाया. जिससे उन्हें विश्व ख्याति प्राप्त हुई.

वनस्पति विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान और प्रयोगों के लिए महात्मा गांधी, रविंद्र नाथ टैगोर और स्वामी विवेकानंद जैसे प्रसिद्ध व्यक्तियों ने उनके प्रयोगों का महत्व नहीं समझा. उन्हें अपने देश में प्रसिद्धि केवल तभी मिली जब पश्चिमी देशों ने उनके कार्यों को महत्वपूर्ण माना.

जगदीश चंद्र बोस की पुस्तकें (Jagadish Chandra Bose Books)

जगदीश चंद्र बोस ने अपने जीवन काल में दो प्रसिद्ध पुस्तकें भी लिखी थी. जो नीचे निम्नलिखित है :

1 : Response in The Living and Non-living

जगदीश चंद्र बोस द्वारा लिखी यह पुस्तक सन 1902 में प्रकाशित की गई. जगदीश चंद्र बोस ने इस पुस्तक में सजीव और निर्जीव वस्तुओं के बीच अंतर बताया है. इस पुस्तक में आपको पेड़-पौधों और वनस्पति से संबंधित काफ़ी जानकारियां देखने को मिलेंगी. यदि आप इस पुस्तक को खरीदना चाहते हैं, तो इस लिंक पर क्लिक करके खरीद सकते हैं.

2 : The Nervous Mechanism of Plants

पहली पुस्तक की सफलता के बाद बोस ने 1926 में 'द नर्वस मैकेनिज्म ऑफ प्लांट्स' नामक पुस्तक लिखी. इस पुस्तक में उन्होंने पूर्ण रूप से पेड़ पौधों के बारे में बताया है. उन्होंने इस पुस्तक में पेड़ पौधों के नर्वस सिस्टम मैकेनिज्म के बारे में गहनता से लिखा है. यदि आप इस पुस्तक को खरीदना चाहते हैं, तो इस लिंक पर क्लिक करके खरीद सकते हैं.

जगदीश चंद्र बोस की मृत्यु (Jagadish Chandra Bose Death)

23 नवंबर 1937 को इस महान वैज्ञानिक का निधन हो गया. अपनी मृत्यु से पहले उन्होंने कोलकाता में Bose institute की स्थापना की. उस समय इस संस्थान में मुख्य रुप से वनस्पति विज्ञान से संबंधित अनुसंधान कार्य होता था. लेकिन आज इस संस्थान में दूसरे अनेक विषयों पर भी अनुसंधान कार्य किया जाता है. भारत के इस महान वैज्ञानिक ने देश हित में कई बड़े कार्य किए ऐसे महान वैज्ञानिक को मेरी तरफ से सत सत नमन :


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