गुर्जर जाति का इतिहास | Gurjar (Gujjar) History in Hindi


Gurjar, Gujjar History in Hindi (गुर्जर जाति का इतिहास) : हेलो दोस्तों! गुर्जर समाज का इतिहास (History) पांचवी शताब्दी से भारत के इतिहास में दर्ज है. वर्तमान समय में गुर्जर समुदाय प्रतिष्ठित समाज में से एक है. इस समय गुर्जर समुदाय कई गोत्रों में विभाजित है. इस समुदाय के लोग गुज्जर, गूजर, गोजर, गुर्जर (Gurjar), गूर्जर (Gujjar) और वीर गुर्जर  के नामों से जाने जाते हैं.

गुर्जर जाति का विस्तार उत्तर भारत, मध्य भारत, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि जगहों पर अधिक है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान में खान गुर्जर पाए जाते हैं. बताया जाता है कि खान गुर्जर पहले हिंदू थे, बाद में भारत पाकिस्तान के बटवारे के समय इनका धर्म परिवर्तन किया गया था. आज इस लेख के माध्यम से हम "गुर्जर जाति के इतिहास" के बारे में विस्तार से जानेंगे.

गुर्जर जाति का इतिहास - Gurjar (Gujjar) History in Hindi

Gurjar

गुर्जर जाति का उल्लेख 5 वी शताब्दी से इतिहास के पन्नों व शिलालेखों में दर्ज है. इतिहास के अनुसार बताया जाता है कि प्राचीन समय में गुर्जर जाति के लोग युद्ध कला में निपुण थे. इतिहासकारों के अनुसार गुर्जर जाति युद्ध कला में इस कदर निपुण थे, कि उन्हें शूरवीर और योद्धा कहा जाता था. वे लोग किसी भी प्रकार के युद्ध को जीत में बदलने की काबिलियत रखते थे.

 इसी काबिलियत के बल पर गुर्जर समुदाय ने पांचवी शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक पूरे भारतवर्ष पर राज किया था. उस समय भारत आज के भारत से क्षेत्रफल में काफी बड़ा था. माना जाता है कि गुर्जर प्रतिहार वंश ने 600 सालों तक अरब के इस्लामिक लड़ाकों को भारत में घुसने तक नहीं दिया था.

 उस समय प्रतिहार वंश के राजा मिहिरभोज का वर्चस्व था. मिहिरभोज का साम्राज्य सम्राट अशोक से भी विशाल माना जाता है. 12 वीं सदी के बाद गुर्जर प्रतिहार वंश का पतन होना शुरू हो गया. जिसके बाद अरब के आक्रमणकारियों ने भारत में सेंध लगा ली और धीरे-धीरे भारत को लूटना शुरु कर दिया.

गुर्जर (Gurjar) जाति की उत्पत्ति

गुर्जर अभिलेखो के हिसाब से ये सूर्यवंशी या रघुवंशी हैं. प्राचीन महाकवि राजशेखर ने गुर्जरों को 'रघुकुल-तिलक' तथा 'रघुग्रामिणी' कहा है. 7 वी से 10 वी शतब्दी के गुर्जर शिलालेखो पर सुर्यदेव की कलाकृतियाँ भी इनके सुर्यवंशी होने की पुष्टि करती हैं.

राजस्थान में आज भी गुर्जरों को सम्मान से 'मिहिर' बोलते हैं, जिसका अर्थ 'सूर्य' होता है. कुछ इतिहासकारों के अनुसार गुर्जर मध्य एशिया के कॉकस क्षेत्र (अभी के आर्मेनिया और जॉर्जिया) से आए आर्य योद्धा थे. कुछ विद्वान इन्हे विदेशी भी बताते हैं क्योंकि गुर्जरों का नाम एक अभिलेख में हूणों के साथ मिलता है, परन्तु इसका कोई एतिहासिक प्रमाण नहीं है.

संस्कृत के विद्वानों के अनुसार, गुर्जर शुद्ध संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ 'शत्रु का नाश करने वाला' अर्थात 'शत्रु विनाशक' होता है. प्राचीन महाकवि राजशेखर ने गुर्जर नरेश महिपाल को अपने महाकाव्य में दहाड़ता गुर्जर कह कर सम्बोधित किया है.

भारत की आजादी में गुर्जर समुदाय का योगदान

भारत की आजादी में गुर्जर समुदाय का अहम योगदान रहा है. उदाहरण के लिए भारत के लौह पुरुष "सरदार वल्लभ भाई पटेल" जैसे महापुरुष एक गुर्जर थे. उन्होंने ने भारत की लड़ाई में बढ़-चढ़कर योगदान दिया था. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आजाद भारत की लड़ाई के लिए गुर्जर समुदाय को प्रेरित किया.

 आजाद भारत की लडाई के लिए गुर्जर समुदाय के हजारों बच्चों ने अपने प्राणों की आहुति दें दी. आजादी के लिए गुर्जरों का कहर इस कदर बढ़ गया था कि अंग्रेजों ने उन्हें बागी घोषित कर दिया था. इसी कारणवश गुर्जर समुदाय के लोगो को जंगल और देहाती इलाकों में जाकर रहना पड़ा. इसी वजह से गुर्जर समाज के लोग पढ़ाई लिखाई से वंचित रह गए.

वर्तमान स्थिति (Present Time Gurjar Community Situation)

वर्तमान समय में गुर्जर खेती-बाड़ी और पशुपालन से जुड़े हुए हैं. वर्ष 2001 से गुर्जर समाज में साक्षरता दर में तेजी से इजाफा देखने को मिला है. गुर्जर अच्छे योद्धा माने जाते थे, इसीलिए भारतीय सेना में गुर्जर समाज के लोगों की अच्छी खासी संख्या देखने को मिलती है. वर्ष 2011 से खेल जगत और सिनेमा जगत आदि में गुर्जर समाज के लोगों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है.

 वर्तमान समय में गुर्जर महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में अधिकतर पाए जाते हैं. राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सभी गुर्जर हिंदू हैं. भारत के अलावा गुर्जर पाकिस्तान के पंजाब और रावलपिंडी जिले आदि में पाए जाते हैं.

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