कर भला तो हो भला | Short Moral Story in Hindi For Class 10


Short Moral Story in Hindi For Class 10 : हेलो दोस्तों! आज हम आपके साथ शेयर करेंगे "Short Moral Story in Hindi | Short Hindi Stories | Moral Story For Kids" . कहानियां कभी हमें हंसाती है तो कभी हमें रुलाती हैं, लेकिन साथ ही साथ हमें कुछ अच्छा सिखा जाती है. तो चलिए आज की हमारी कहानी का शीर्षक है-- "कर भला तो हो भला" तो चलिए चलते हैं "Short Moral Story in Hindi For Class 10" की कहानी की तरफ :

कर भला तो हो भला - Short Moral Story in Hindi For Class 10

Short Moral Story in Hindi For Class 10

किसी गांव में दो भाई रहते थे. बड़ा भाई अमीर था, उसके पास किसी बात की कमी नहीं थी. छोटा भाई गरीब था, मेहनत मजदूरी करके पेट पालता था. 1 दिन दोनों भाइयों में बहस होने लगी. बड़े भाई ने कहा-- "भले का भला नहीं होता, आज की दुनिया में भले को भीख भी नहीं मिलती. इसलिए दूसरे का चाहे बुरा ही क्यों ना हो, अपने भले की बात पहले सोचनी चाहिए."

 छोटे ने कहा-- "नहीं भैया कष्ट औरो को हो ऐसे में अपना भला कैसे हो सकता है." बड़े ने कहा-- "चल हम गांव में लोगों से पूछ लेते हैं. तेरी बात सही निकली तो मेंरे पास जितना धन है वह सारा तेरा और मेरी बात सही निकली तो जो तेरे पास है वह सब कुछ मेरा."

 छोटे ने कहा-- "ठीक है चलो" और दोनों गांव में निकल गए. गांव में पहुंचकर 'एक से पूछा, दो से पूछा, तीन से पूछा सभी लोग यही कहने लगे कि-- "आजकल भलाई का जमाना ही नहीं रहा. भलाई करने वाला तो भूखा मरता है. भले आदमी का कहीं गुजारा नहीं होता और जो बुरी राह पर चलता हैं, वह खूब फलता फूलता हैं, धन-धान्य से सुखी रहता हैं."

अब छोटे भाई के पास जो खेत का छोटा टुकड़ा था, वह भी शर्त में हार गया. अब वह दाने-दाने को मोहताज हो गया. बीवी बच्चे भूखे मरने लगे. खाने को कोई उधार भी नहीं देता था. वह अपने बड़े भाई के पास गया, चावल उधार लेने के लिए. सोचा बड़ा भाई है, वह दे देगा. उसने बड़े भाई से कहा-- "भैया 10 किलो चावल दे दो, घर में अन्न का दाना तक नहीं है. बच्चे भूखे मर रहे हैं.

बड़े भाई ने तुरंत कहा-- "पैसे दे दो और जितना चाहे चावल ले जाओ". छोटे ने कहा-- "पैसे तो नहीं है". इस पर बड़े भाई ने कहा-- "तो फिर अपनी एक आंख दे दो." छोटे ने सोचा मजाक कर रहा है, चावल के बदले आंख तो नहीं लेगा. पर बड़े ने चावल के बदले एक आंख निकलवा ली और 10 किलो चावल दे दिए.
 यह देख कर उसके बीवी बच्चे रोने लगे कि-- "तुमने यह क्या कर दिया" थोड़े दिन तो आराम से निकल ले फिर अनाज खत्म हो गया. छोटा भाई हार कर फिर बड़े भाई के पास गया. उससे अपने भूख से बिलखते हुए बच्चे नहीं देखे जा रहे थे. बड़े ने फिर कहा-- "दूसरी आंख दे दो चावल ले जाओ." छोटे ने दूसरी आंख भी निकलवा दी और चावल ले आया.

 घर पर बीवी बच्चे देख कर रोने लगे-- "तुमने यह क्या कर दिया? अब क्या होगा." छोटे भाई ने कहा-- "अब मैं अंधा हो गया हूं, लोग मुझे भीख दे देंगे तो मुझे सड़क के किनारे बैठा आना." दूसरे दिन से रोज उसकी पत्नी उसे रास्ते पर बैठा आती थी. जिससे उसका रोज का काम चलने लगा. एक दिन उसे बैठे बैठे बहुत देर हो गई. उसकी पत्नी उसे लेने के लिए नहीं आई.

 उसने बहुत समय तक उसकी राह देखी, फिर जब बहुत रात हो गई तो वह अपने घर की तरफ चल दिया. पर ना दिखने के कारण वह रास्ता भटक गया. आखिर उसने सोचा अब तो यहीं बैठ कर ही रात गुजार लेता हूं और आगे चला तो रास्ता भूल जाऊंगा. वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया. कुछ समय पश्चात पेड़ से आवाज आने लगी. कुछ समय बाद एक तूफान सा आया दरअसल यह भूत थे. चारों में से एक उनका सरदार था.

Short Moral Story in Hindi

भूत बहुत खुराफाती थे. सब एक महीने भर लोगों को सताते थे और महीने में 1 दिन इसी पेड़ पर सरदार सब का हिसाब किताब करता था. आज वही हिसाब किताब करने वाला दिन था. सरदार ने पूछा-- "हां ! भाई तुम लोगों ने क्या क्या किया? एक-एक करके बताओ." पहला भूत बोला-- "एक गांव में दो भाई थे. भले बुरे का तर्क हुआ, दोनों ने बाजी रखी. छोटा भाई हार गया, मैंने उसे अंधा बनवा दिया.

 सरदार बोला-- "बहुत खूब ! अब अंधा ही बना रहेगा वह क्या जाने कि इस पेड़ की तली की ओस लगाने से उसकी आंखें ठीक हो सकती है." दूसरा भूत बोला-- "मैंने रामनगर जिले के सारे नदी, नाले, झरने, तालाब, कुए, बाबड़ी सब कुछ सुखा दिया है. पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. कई कोश तक पानी नहीं है. सब यूं ही तड़प तड़प कर मर जाएंगे."

भूतों का सरदार बोला-- "बहुत खूब! प्यासे मरे सब उन्हें क्या पता कि वही पहाड़ के तले से सात मिट्टी की परतें हटा देने से पानी फिर आ सकता है." तीसरा भूत बोला-- सरदार! राजा की बेटी की शादी होने वाली थी. नगर में खुशियां मनाई जा रही थी. पर मैंने राजकुमारी को गूंगी बना दिया, जिससे उसकी शादी नहीं हो पाई, महल में मातम छा गया है.

सरदार ने कहा-- "वाह, बहुत खूब! वह गूंगी ही रहेगी किसी को क्या मालूम इस पेड़ की झूमती जटा को पीसकर पिला देने से वह बोलने लगेगी. खैर चलो एक महीने बाद इसी दिन फिर यही मिलेंगे". एक तूफ़ान सा उठा और चारा भूत चले गए. तब तक सवेरा हो गया था.

अंधे भाई ने सबसे पहले वहां की ओस की बूंदें अपनी आंखों पर लगाई, उसकी आंखें लौट आई. वह खुशी से झूम उठा. उसने जल्दी से पेड़ की जटा ली और घर लौटा. उसकी आंखें वापस आ जाने से सब बहुत खुश हो गए. उसने सारा किस्सा अपनी पत्नी को सुनाया और घर से निकल गया और सीधे रामनगर पहुंचा. वहां की हालत देखी तो रोने लायक थी. सूखकर धरती फट रही थी.

कहीं एक बूंद पानी नहीं था, हाहाकार मचा हुआ था. उसने पहाड़ के नीचे से मिट्टी की सात परते निकाली ही थी, कि फिर कुएं, तालाब और झीलों में पानी ही पानी हो गया. वहां के राजा ने उसे अपार धन दिया.

 फिर वह राजा के महल में जा पहुंचा, जाते ही उसने कहा-- "महाराज मैंने सुना है कि राजकुमारी गूंगी हो गई है. मैं उसे ठीक कर सकता हूं." छोटे भाई ने झट से पेड़ की जटा को पीसकर राजकुमारी को पिला दिया और राजकुमारी बोलने लगी. राजा बहुत खुश हुआ. Raja ने अशर्फियों से उसकी झोली भर दी. गाड़ी घोड़ा दिया और वह रहने के लिए एक महल देकर परिवार के साथ यहां आ कर रहने को कहा.

 छोटा भाई धन से लदा घर लौटा. उसके परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई. बड़े भाई ने देखा कि उसकी आंखें भी आ गई और इतनी दौलत भी. वह ईर्ष्या से जलने लगा. उसने छोटे भाई से माफी मांगी गड़बड़ाया कि उसे भी राज बता दे.

 छोटे भाई को दया आ गई, उसने सारा राज बड़े भाई को बता दिया. बड़ा भाई भी उसी जंगल में गया उसी पेड़ तले बैठा फिर वही तूफान आया और भूतों की आवाज आने लगी. लेखा-जोखा होने लगा. भूत कहने लगे, जो किया कराया था सब पर पानी फिर गया जरूर किसी ने अपना भेद सुन लिया.

भूत जब पेड़ से उतरे तो बड़े भाई को बैठा पाया. बस फिर क्या था, झट से उसका गला घोट दिया और बड़ा भाई वहीं पर मर गया.

शिक्षा (Moral)-- भला करने वालों के साथ बुरा नही होता है व बुरा करने वाले के साथ बुरा होता है. मनुष्य को हमेशा संतुष्ट होना चाहिए जो ज्यादा लालच करता है उसका हाल बड़े भाई के समान होता है.
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