उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ां की जीवनी | Ustad Bismillah Khan Biography in Hindi
Ustad Bismillah Khan Biography in Hindi : हेलो दोस्तों! आज हम आपके साथ शेयर करेंगे 'बिस्मिल्लाह ख़ां की जीवनी'. अगर आपको नहीं पता कि "उस्ताद बिस्मिल्लाह खान" कौन है ? तो मैं आपको बता दूं बिस्मिल्लाह खां को शहनाई का जादूगर कहा जाता है। Bismillah Khan वह इंसान है, जिन्होंने Shehnai Music को पूरे वर्ल्ड में पहचान दिलवाई।
बात है 26 जनवरी 1950 स्वतंत्र भारत के प्रथम गणतंत्र की। उस शाम शहनाई से राग काफी उभरी स्वर रहित लग रही थी। जैसे संपूर्ण वातावरण में स्वरों की गंगा बह रही हो। यह दिवस खुशी के साथ मनाया जा रहा था। श्रोता भाव-विभोर होकर स्वरों की अटूट बाजीगरी का आनंद उठा रहे थे।
और मन ही मन प्रशंसा कर रहे थे, उस कलाकार की जो शहनाई के स्वरों के रास्ते उनके हृदय में प्रवेश कर रहा था। यह शहनाई वादक कोई और नहीं 'Ustad Bismillah Khan' थे। जो स्वतंत्र भारत के प्रथम गणतंत्र दिवस की शाम पर लाल किले में आयोजित समारोह में शहनाई बजा रहे थे।
बिस्मिल्ला खान जीवन परिचय - Ustad Bismillah Khan Biography in Hindi
जन्म - 21 मार्च, 1916
जन्म स्थान - डुमराँव, बिहार
पिता - पैगम्बर खाँ
माता - मिट्ठन बाई
Ustad Bismillah Khan Musical Journey (शहनाई का सफर)
Ustad Bismillah Khan एक ऐसे व्यक्ति जो कोमल हृदय मानव संगीत के द्वारा आत्मा की गहराइयों में उतर जाते थे। ऐसा व्यक्तित्व वर्ल्ड फेमस शहनाई वादक के रूप में जाने जाते हैं। शहनाई की दुनिया में उस्ताद बिस्मिल्ला खान को शहनाई का जादूगर भी माना जाता है। तो चलिए जानते है, आज इस शहनाई के जादूगर के बारे में जिसने लोगों के दिलों में अपनी एक अलग ही छाप छोड़ी।बिस्मिल्लाह खान का जन्म 30 मार्च 1916 को डुमरांव (बिहार) में हुआ। उनके पूर्वज डुमराव रियासत के दरबारी संगीतज्ञ थे। उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा उनके चाचा अलीबक्स से बिरासत मिली थी। अलीबाक्स वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर में शहनाई बजाते थे। चाचा की शिक्षा से उनकी संगीत के प्रति गहरी समझ विकसित हुई। वही सभी धर्मों के प्रति आदर का भाव भी प्रकट हुआ। उन्होंने अपना जीवन संगीत को समर्पित कर दिया और शहनाई वादन को विश्व स्तर पर नई ऊंचाइयां देने का निश्चय कर लिया।
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान संगीत और पूजा को एक ही दृष्टि से देखते थे। उनका मानना था कि संगीत सुर और पूजा एक ही चीज है। बिस्मिल्लाह खान ने अपनी शहनाई की गूंज से अफगानिस्तान, यूरोप, ईरान, इराक, कनाडा, अफ्रीका, रूस, अमेरिका, जापान, हांगकांग सहित विश्व के सभी प्रमुख देशों की श्रोताओं को भावविभोर किया। उनका संगीत समुंद्र की तरह विराट था। लेकिन वह विनम्रतापूर्वक कहते थे। मैं अभी मुश्किल से इसके किनारे तक ही पहुंच पाया हूं मेरी खोज अभी जारी है।
Achievements of Ustad Bismillah Khan (बिस्मिल्लाह खान की उपलब्धियां)
संगीत में अतुलनीय योगदान हेतु Ustad Bismillah Khan को देश-विदेश में विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जो इस प्रकार है।- उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" महामहिम राष्ट्रपति द्वारा सन् 2001 में प्रदान किया गया।
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार।
- तानसेन पुरस्कार।
- मध्यप्रदेश राज्य पुरस्कार।
- पदमविभूषण पुरस्कार।
शहनाई के जादूगर उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को सम्मान एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा उन्हें डॉक्टर की उपाधि प्रदान की गई। अवार्ड की विशेष जानकारी के लिए आप विकिपीडिया पर विजिट कर सकते हैं।
Ustad Bismillah Khan अंतिम समय (मृत्यु)
Ustad bismillah khan साहब अत्यंत विनम्र मिलनसार और उदार व्यक्ति थे। वे सभी धर्मों का सम्मान करते थे। वह संगीत के प्रति पूर्ण समर्पण, कड़ी मेहनत, घंटो अभ्यास, संतुलित आहार, संयमित जीवन और देशप्रेम के अटूट भाव एवं गुणों ने उन्हें विश्व स्तर पर ख्याति दिला दी। अभिमान तो जैसे उन्हें छू तक नहीं पाया था।उस्ताद बिस्मिल्लाह खान शास्त्रीय संगीत परंपरा की ऐसी महत्वपूर्ण कड़ी थे, जिन पर प्रत्येक देशवासी को गर्व है। उनकी मृत्यु 21 अगस्त 2006 को हो गई। और यह शहनाई का जादूगर इस दुनिया को छोड़ कर चला गया। और पीछे छोड़ गया लोगों के दिलों में वह प्यार और शहनाई कि वह धुने जिन्हें लोग आज भी याद करते है।
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