जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर का इतिहास | Akbar History in Hindi


Akbar History in Hindi (अकबर का इतिहास) : हेलो दोस्तों! आज इस लेख के माध्यम से Akbar History आप लोगो के साथ शेयर करेंगे. जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर भारतीय इतिहास का प्रमुख नाम है। लेकिन लेकिन ज्यादातर लोग इन्हें अकबर (Akbar)  के नाम से भी पहचानते हैं। वैसे तो इतिहास में जोधा अकबर की प्रेम कहानी काफी प्रसिद्ध है। लेकिन इस लेख में हम "अकबर के इतिहास (History Of Akbar)" को जानेंगे।

 मुगल सम्राट अकबर भारतीय इतिहास का एक ऐसा राजा है, जिसने लगभग पूरे भारत पर राज किया। Akbar ने अपने शासनकाल में बहुत से ऐसे काम किए जो काबिले तारीफ है। उदाहरण के लिए - "मुगल बादशाह अकबर ने अपने राज्यकाल में हिंदू धर्म के तीर्थ स्थलों से जजिया कर हटा लिया था।

दरअसल मुगल शासन काल में मुस्लिम धर्म को छोड़कर सभी धर्मों के तीर्थ स्थलों पर एक कर लिया जाता था जिसे 'जजिया कर' कहा जाता था। ऐसे ही कई काम मुगल बादशाह अकबर को बाकी मुगल शासकों से अलग बनाते हैं। इसीलिए आज इस लेख में हम "जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर के इतिहास (Akbar History)" पर प्रकाश डालेंगे।


जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर का इतिहास - Akbar History in Hindi


पूरा नाम        -  जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर
जन्म             - 15 अक्तूबर 1542 (उमरकोट किला, सिंध)
शासन काल   -  सन 1556 - 1604 तक
पिता             -  हुमायूँ
माता             -  नवाब हमीदा बानो बेगम साहिबा
पुत्र               -  जहांगीर
वंश               -  मुग़ल
मृत्यु              -  26Oct.1605 (फतेहपुर सीकरी, आगरा)
क़ब्र               - बिहिस्ताबाद सिकन्दरा, आगरा.

बचपन  (Akbar Childhood) 

अकबर का जन्म अमरकोट के राजा वीसाल के महल मैं 15 अक्टूबर 1942 को हुआ था। Akbar का बचपन बड़े ही संघर्षों में बीता। कई बार तो उन्हें अपनी माता हमीदा बानो तक से अलग हो जाना पड़ा और भाग्य के सहारे जीवित रहना पड़ा था।

लेकिन बचपन की इन्ही मुसीबतों ने उन्हें बेहद साहसी और निर्भीक बना दिया था। जब Akbar 5 वर्ष के हुए तो उनकी पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था की गई। विशेष प्रकार से Akbar का मन खेलकूद, घुड़सवारी , तलवार चलाने मैं अधिक लगता था। ऐसा माना जाता है कि अकबर तलवार बाजी मैं काफी निपुण थे।

प्रारंभिक जीवन (Akbar Starting Life)

अकबर 20 वर्ष की आयु प्राप्त होने तक एक उदार मुगल शासक के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके थे। उनके पिता "हुमायूं" शेरशाह सूरी से पराजित होने के बाद एक बार फिर 1555 में दिल्ली में विस्तार को बढ़ाने में लग गए और मुगल साम्राज्य का गठन किया।

पुनः गठन करने के पश्चात कुछ ही समय बाद हुमायूं की मृत्यु हो गई। हुमायूं की मृत्यु के बाद अकबर पर जिम्मेदारी  आ गई और इसके पश्चात अकबर ने 14 साल की छोटी उम्र में ही राज गद्दी संभाली और राज्य के विस्तार के लिए नई नई रणनीतियां बनाने लगे।


अकबर ने बहुत सारे युद्ध लड़े जिनमें से ज्यादातर युद्ध में अकबर की जीत हुई। लेकिन कुछ लड़ाईयां ऐसी भी थी, जिनमें अकबर को हार का सामना करना पड़ा। अकबर ने अपने साम्राज्य का विस्तार लगभग पूरे भारत में कर लिया था। इसके बाद अकबर ने लोगों की भलाई के लिए अनेकों कार्य किए।

 जिसके कारण जमालुद्दीन मोहम्मद अकबर को दुनिया भर में एक नई पहचान मिली। इन्हीं कार्यों को देखते हुए उन्हें 'अकबर महान' की उपाधि मिली।

Akbar द्वारा किए गए अच्छे काम 

मध्य काल में यह प्रथा थी कि जो सैनिक युद्ध में पकड़े जाते थे उन्हें गुलाम बनाकर रखा जाता था। अकबर ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया। शासन के कुछ ही वर्षों बाद उसने तीर्थ स्थानों की यात्रा करने वाले यात्रियों पर लगाए जाने वाले यात्री कर (जजिया कर) को भी उठा लिया।

 अकबर को अपनी प्रजा के बीच में विभिन्न संप्रदाय में मतभेद पसंद नहीं थी। इसीलिए प्रजा में एकता और समानता का भाव उत्पन्न करने की भावना से ही उसने "जजिया कर" को समाप्त कर दिया। यह कर सभी गैर मुस्लिम व्यक्तियों ( हिन्दुओ) को हिंदू तीर्थ स्थानों पर जाते समय अदा करना पड़ता था।
अकबर धर्म के मामलों में बहुत उदार था। उसने अपने शासनकाल में सभी धर्मों के लोगों को अपना-अपना धर्म पालन करने की पूरी स्वतंत्रता दे रखी थी। वह देश में केवल राजनीतिक एकता ही नहीं स्थापित करना चाहता था बल्कि सांस्कृतिक एवं धार्मिक सद्भावना भी कायम करना चाहता था।

 इसी से प्रेरित होकर अकबर ने "दीन-ए-इलाही" नामक एक नया धर्म चलाया। जिसमें सभी धर्मों की अच्छी बातों को ग्रहण किया गया था। यह धर्म रूढ़ियों पर आधारित ना होकर तर्क पर आधारित था।

Akbar का साहित्य प्रेम 

अकबर का दरबार विद्वानों और कलाकारों का केंद्र हुआ करता था। राज्य भाषा फारसी थी। इसी समय फारसी भाषा में मौलिक रचनाएं की गई तथा दूसरी भाषाओं के श्रेष्ठ ग्रंथों का अनुवाद भी फारसी में किया गया था। बहुत से भारतीय तथा विदेशी कवि अकबर के दरबार में रहते थे।

अबुल फजल द्वारा लिखित 'आइने-अकबरी' में अकबर के द्वारा सहायता प्राप्त 59 कवियों का उल्लेख मिलता है। उस समय की फारसी भाषा की श्रेष्ठ रचनाओं में अबुल फजल का अकबरनामा,आइने अकबरी, निजामुद्दीन की 'तबकाते अकबरी", गुलबदन बेगम का 'हुमायूंनामा' आदि प्रसिद्ध है।

Akbar का शासनकाल हिंदी पद्य का स्वर्ण युग था। इसी समय हिंदी के उच्च कोटि के काव्य ग्रंथों की रचना हुई। हिंदी के प्रसिद्ध कवि तुलसीदास, सूरदास रहीम, रसखान, बीरबल थे। उस समय की प्रसिद्ध हिंदी रचनाओं में 'रामचरितमानस' और 'सूरसागर' है। कुछ मुसलमान कवियों ने भी हिंदी में रचनाएं की।

 इनमें रहीम का नाम उच्च कवियों में गिना जाता है और दूसरे मुसलमान हिंदी कवि रसखान थे। अकबर ने 9 महान विद्वान लोगों की अलग कम्युनिटी बनाई थी। जिसे हम नवरत्न के नाम से जानते हैं। जिन्हें अकबर के दरबार में विशेष सम्मान दिया जाता था।

Jalaluddin Muhammad Akbar का कला प्रेम

अकबर संगीत प्रेमी था। संगीत को संरक्षण प्रदान करने के कारण उसके समय में संगीत कला की आश्चर्यजनक उन्नति हुई। हिंदू तथा मुसलमानों का संगीत मिलकर एक बन गया था। आईने अकबरी में उसके दरबार में 36 श्रेष्ठ संगीतज्ञों के नाम दिए हुए हैं।

अकबर स्वयं एक अच्छा गायक था। तानसेन उसके दरबार का श्रेष्ठ गायक था, जो कि नवरत्नों में से एक था। तानसेन ने कई नए रागों की रचना की थी। दूसरे प्रसिद्ध गायक 'बैजू बावरा' था। ऐसी की धारणाएं हैं कि उसकी तानसेन के साथ संगीत की प्रतियोगिता हुई थी और अकबर ने अपने गायन से तानसेन को परास्त कर दिया था।

संगीत की दो भिन्न भिन्न शैलियों को मिलाकर एक नई भारतीय राष्ट्रीय संगीत को जन्म देने का श्रेय Akbar को ही जाता है। अकबर ने कला की भी नई-नई शैलियों को जन्म दिया। उसने आगरा, इलाहाबाद तथा लाहौर में तीन विशाल के किले बनवाए। अकबर के समय की वास्तुकला का सबसे अच्छा नमूना उसकी नई राजधानी फतेहपुर सीकरी में निर्मित इमारतें हैं।

इन इमारतों को आप आज भी फतेहपुर सीकरी (आगरा) में जाकर देख सकते हैं। मुगल कला का प्रभाव देश की सभी इमारतों पर पड़ा। अकबर के साम्राज्य में बड़े-बड़े समृद्धशाली नगर थे। जिनमें दिल्ली,आगरा, फतेहपुर-सीकरी, अजमेर, लाहौर, मुल्तान (अब पाकिस्तान में है) उज्जैन, बुरहानपुर, अहमदाबाद, बनारस आदि विशेष है। अकबर को चित्रकारी से भी बहुत प्रेम था। उस के दरबार में बहुत से योग्य और कुशल चित्रकार थे।

अकबर विदेशी शासक तैमूर और चंगेज खान का वंसज था। लेकिन उसने स्वयं को पूरी तरह से भारतीय बना लिया और देश के विकास कार्यों में इस प्रकार लगा रहा जैसे-- वह मूल रूप से भारतीय हो। जोधा अकबर की प्रेम कहानी विशेष रुप से इतिहास में आकर्षण का केंद्र रही है। जिसे कई फिल्मों में भी दर्शाया जा चुका है।

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