मकबूल फिदा हुसैन की जीवनी | M.F. Husain Biography in Hindi


Maqbool Fida Husain / M.F. Husain Biography in Hindi (मकबूल फिदा हुसैन उर्फ एम एफ हुसैन) : भारतीय चित्रकारों में जिस इंसान का दर्जा सबसे ऊंचा है, उस शख्स का नाम मकबूल फिदा हुसैन उर्फ एम एफ हुसैन है. एम एफ हुसैन (M. F. Husain) को भारत का Picasso भी कहा जाता है.

 उनकी पेंटिंग विश्वभर में करोड़ो रुपए में बिकती हैं. 'मकबूल फिदा हुसैन (M. F. हुसैन)' का जीवन विवादों से भरा रहा है. उन पर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और हिंदी देवताओं की तस्वीरों का मजाक बनाने जैसे इल्जाम शामिल है. कई हिंदू संगठनों का कहना था की - "मकबूल फिदा हुसैन ने अपने चित्रों के माध्यम से हिंदू देवी देवताओं का मजाक उड़ाया था"

 "M. F. हुसैन" एक चित्रकार ही नहीं थे, उन्होंने कई फिल्मों का निर्देशन भी किया था. वर्ष 1967 में उन्होंने "थ्रो द आईज ऑफ़ पेंटर" फिल्म बनाई. उसके बाद 2004 में आई फिल्म "मीनाक्षी: अ टेल ऑफ थ्री सिटी" को अपना निर्देशन दिया. वर्ष 2004 में आई फिल्म "मीनाक्षी: अ टेल ऑफ थ्री सिटीज" को कांस फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया था.

मकबूल फिदा हुसैन की जीवनी - M. F. Husain Biography in Hindi

.M. F. Husain

पूरा नाम   - मकबूल फिदा हुसैन उर्फ M. F. हुसैन
जन्म        - 17 सितंबर 1915 पंढरपुर (महाराष्ट्र)
पिता        - फिदा हुसैन
माता        - Zunaib Husain
कार्यक्षेत्र   - चित्रकारी, फिल्म निर्देशन, रेखाचित्रण
मृत्यु         - 9 जून 2011 (लंदन)
सम्मान     - पद्मश्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण.

M. F. Husain Earlier Life (प्रारंभिक जीवन)

एम. एफ. हुसैन का जन्म 17 सितंबर 1915 को महाराष्ट्र के पंढरपुर इलाके में एक मुस्लिम परिवार में हुआ. जब वे वाल्यावस्था में थे तभी उनकी मां का निधन हो गया. बचपन में जब हुसैन साहब स्कूल जाते थे, तब वहां उन्हें सुलेख और रेखाचित्रों का ज्ञान मिला. यही से वो चित्रकला की ओर आकर्षित हुए.

कुछ सालों बाद उनके पिता का तबादला इंदौर में हो गया और वे इंदौर आ पहुंचे. इंदौर में हुसैन साहब की प्रारंभिक शिक्षा हुई. इसके बाद हुसैन साहब आगे की पढ़ाई के लिए मुंबई चले गए. वहां उन्होंने "जे जे स्कूल ऑफ आर्ट्स" में दाखिला लिया. पढ़ाई के दौरान हुसैन साहब को आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता था.


उस समय मुंबई काफी महंगा शहर हुआ करता था, इसीलिए हुसैन साहब कुछ पैसे कमाने के लिए फिल्मों के पोस्टर बनाने लगे. इस दौरान उनकी चित्रकला में काफी निखार आया. लेकिन पैसों की किल्लत के चलते हुसैन साहब ने खिलौनों की फैक्ट्री में भी कार्य किया. वहां से उन्हें अच्छा खासा पैसा तो नहीं, लेकिन उनका खर्च निकालने लायक पैसे मिल जाते थे.

M. F. Husain Career (करियर)

मुंबई में पढ़ाई पूरी करने के बाद हुसैन साहब काफी समय तक पेंटिंग बनाते रहे, और खुद को बेहतर बनाने में लगे रहे. हुसैन साहब को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान 1940 के दशक के अंत तक मिली. उस समय तक हुसैन साहब पेंटिंग बनाने में काफी पारंगत हो चुके थे. सन 1947 में हुसैन साहब को प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप में मेंबरशिप मिली.

वे हमेशा से समाज और परंपराओं के बंधनों को तोड़कर कुछ अलग करना चाहते थे, और उनकी इसी चाह ने उन्हें दुनिया का एक बेहतर पेंटर बनने में मदद की. वर्ष 1952 में पहली बार उनकी पेंटिंग की प्रदर्शनी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगी इस प्रदर्शनी के दौरान हुसैन साहब की चित्रकारी को काफी सराहना मिली. इस प्रदर्शनी की बाद पूरे यूरोप में हुसैन साहब की चर्चा होने लगी.

वर्ष 1967 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म "थ्रो द आईज ऑफ़ पेंटर" का निर्देशन किया. इस फिल्म को बर्लिन फिल्म समारोह में गोल्डन वेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा उन्होंने वर्ष 2000 में "गजगामिनी" और 2004 में "मीनाक्षी: अ टेल ऑफ थ्री सिटीज" फिल्में बनाई.

 वर्ष 1971 तक M.F. हुसैन का ओहदा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक कलाकार के रूप में काफी बढ़ चुका था. इस बात का पता इस घटना से चलता है, कि जब साओ पाबलो समारोह हुआ (इस समारोह में बड़े-बड़े चित्रकार और कलाकारों को बुलाया जाता है) इस समारोह में हुसैन साहब को पाब्लो पिकासो के साथ विशेष निमंत्रण देकर बुलाया गया था.

 वह लगातार चित्र कला के क्षेत्र में कार्य करते रहे. उनकी यही लगन और मेहनत रंग लाई. अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी के दौरान उनकी एक पेंटिंग 20 लाख अमेरिकी डॉलर की बिकी. इस पेंटिंग के इतना महंगा बिकने के बाद वे भारत के सबसे महंगे चित्रकार बन गए.

 M. F. Husain Controversy (विवादित जीवन)

 M. F. हुसैन का जीवन कई तरह के विवादों से भरपूर रहा है. इन सब विवादों के लिए हुसैन साहब स्वयं जिम्मेदार थे. इन विवादों की मुख्य वजह हिंदू देवी देवताओं की पारंपरिक तस्वीरों से छेड़खानी और असभ्य ढंग से पेश करना था. जब उन्होंने हिंदू देवी-देवताओं की पेंटिंग की प्रदर्शनी लगाई. तब कई हिंदू धर्म संगठनों में हड़कंप मच गया.

 उनके विरोध में भारत के कई हिस्सों में प्रदर्शन होने लगे. M. F. हुसैन के खिलाफ सैकड़ों केस दर्ज किए. सूत्रों की माने तो बताया जाता है कि उनके घर पर एक दो बार पत्थरों से हमला भी हुआ. अंत में सामाजिक तत्वों से आहत होकर हुसैन साहब लंदन में रहने लगे. वर्ष 2010 में कतर ने उन्हें नागरिकता देने का प्रस्ताव उनके समक्ष रखा. उन्होंने खुशी-खुशी इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और वह अपने अंतिम दिनों में कतर और लंदन में रहे.

M. F. Husain Personal Life (व्यक्तिगत जीवन)

M. F. हुसैन का पर्सनल जीवन जितना विवादित रहा है, व्यक्तिगत जीवन में भी उतनी ही सफल भी रहे. उन्होंने सन 1941 मैं फाजिला नामक महिला से निकाह किया. इस विवाह से उनके 3 पुत्र (मुस्तफा, शमशाद, और ओवेश) और दो पुत्री (रायसा और अकीला है.

M. F. Husain Achievement & Awards (उपलब्धियां)

M. F. हुसैन ने अपने जीवन काल में कई उपलब्धियां हासिल की, इसके लिए उन्हें विभिन्न सम्मानों से समय-समय पर सम्मानित किया गया. उनके मुख्य सम्मान नीचे निम्नलिखित हैं.
  • प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप में मेंबर शिप (1940)
  • पद्मश्री पुरस्कार (1955)
  • गोल्डन वेयर पुरस्कार (1967)
  • पद्मभूषण पुरस्कार (1971)
  • पद्म विभूषण पुरस्कार (1991)
  • राजा रवि वर्मा पुरस्कार (2007)

M. F. Husain Death (मृत्यु)

M. F. हुसैनी अपने जीवन काल में अनेक सराहनीय कार्य किए. ज्यादातर उनका जीवन विवादित रहा. हुसैन साहब अंतिम समय में लंदन में थे, अचानक दिल का दौरा पड़ने के कारण लंदन के रॉयल ब्रोम्पटन अस्पताल में 9 जून 2011 को उनका निधन हो गया.

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